Different forms of death आज का दिन और मौत का वह मंजर....

57 साल पहले बंगाल की खाड़ी में आयी थी अम्फन से भी बड़ी तबाही

प्रकृति ने हर सदी में ऐसी त्रासदी लायी है जिसमें मानवीय संपदा को नुकसान पहुंचाया ही है, कई लोगों ने अपनी जान भी गंवायी है। धरती पर संतुलन बनाये रखने के लिए प्रकृति का यह भयानाक रूप बीच-बीच में जरूर देखने को मिलता है। कुछ दिनों पहले बंगाल की खाड़ी में आये चक्रवाती तुफान अम्‍फान ने सैकड़ों लोगों की जान ली और करोड़ों की क्षति पहुंचायी है, लेकिन आज से करीब 57साल पहले बंगाल की खाड़ी में एक ऐसा तुफान आया था, जिसमें लगभग 22000 से भी अधिक लोग मारे गये थे।

28 मई की वह तूफानी रात...

28 मई 1963 की रात बांग्लादेश के चटगांव में 203-207 किमी की रफ्तार से ऐसी तबाही आयी जिसने संभलने का मौका तक नहीं दिया और लगभग 22000 इंसानों और लगभग 30000 से अधिक मवेशियों की जान लेने के बाद ही थमा। यह तबाही पिछले दिनों बंगाल की खाड़ी में आयी चक्रवाती तूफान अम्फन से कई गुणा अधिक थी।  इस चक्रवाती तूफान में लगभग 3.60 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये थे और 4500 से अधिक मवेशियों की जान चली गयी थी।

जब धनबाद के धोरी कोल माइन में 400 लोग मारे गये

image courtesy google
देश की कोयलानगरी धनबाद के लिए भी 28 मई का दिन कभी न भूलने वाला इतिहास बनकर रह गया। दिन रात एक कर कोयला निकालकर इसकी कालिख में अपनी जिंदगी जी रहे कोल माइनर के लिए यह दिन मौत की चादर बिछाकर चला गया। धनबाद जिला के बेरमो के पास धोरी माइंस में अचानक एक विस्फोट हुआ और इसके बाद लगी आग में लगभग 400 जिंदगियां चली गयी. उस दौरान यह कोल माइंस रामगढ़ के राजा की संपत्ति हुआ करती थी।  इस घटना के बाद कई दिनों तक लोग कोल माइंस में जाने से कतराते रहे। हालांकि, धीरे-धीरे यही डर लोगों के जीने का हिस्सा बन गया। आज धनबाद देश का लगभग 35 प्रतिशत कोयले का उत्पादन करता है।




Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post