अमेरिकी महिलाओं ने आयोजन को बना दिया अमर
युद्ध चाहे किसी भी रूप में हो यह एक ऐसी त्रासदी लेकर आता है, जिसमें न केवल जानें जाती है, बल्कि यह अपनों को खोने का दर्द भी पीछे छोड़ जाता है। हर युद्ध के पीछे एक कारण होता है और ऐसा हर कारण मानव जीवन के एक हिस्से को नष्ट कर या फिर एक पक्ष के खात्मे व हार के बाद हुए समझौते पर ही समाप्त होता है । अमेरिका ने भी ऐसे ही एक आंतरिक युद्ध को झेला है, जिसमें छह लाख से अधिक लोगों की जान चली गयी। हर साल मई का अंतिम सोमवार मेमोरियल डे के रूप में उन्हीं मृत आत्माओं की शांति, सम्मान का दिन होता है, जिन्हें याद करने के लिए पूरा अमेरिका इसे विशेष अवकाश दिवस के रूप में मनाता है। इस बार 25 मई को मनाया जाने वाला मेमोरियल डे इस मायने में भी काफी खास है, क्योंकि इस देश ने कोरोना में विश्व में सबसे अधिक लोगों को खोया है। इस दोहरे दर्द को अपने सीने में याद रखना अमेरिकी लोगों के लिए हमेशा टिसता रहेगा।
मई की आखिरी सोमवार को कब्रों को क्यों सजाते हैं अमेरिकी
दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अपने इतिहास में कई ऐसी घटनाएं देखी हैं, जिनमें लोगों ने अपनी जान गंवाई है। लेकिन 1861 में उतरर अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के बाद उत्तरी अमेरिकी और दक्षिण अमेरिकियों के बीच के तनाव में खूनी संघर्ष में 6 लाख से भी अधिक लोग मारे गये थे। किसी गृह युद्ध में इतने लोगों की मौत एक बड़ा मायने रखता है। युद्ध के दौरान ही मरने वालों के सम्मान में महिलाओं द्वारा उनके कब्र पर फूल चढ़ाना शुरू हो गया था, जिसने बाद में एक बड़ा रूप ले लिया और इसी पहल ने एक सांस्कृतिक महत्व दिलायी। 1868 से लेकर 1970 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में सैन्य कर्मियों को सम्मानित करने और शोक व्यक्त करने के लिए संघीय अवकाश के तौर पर मनाया जाने लगा। मगर, बाद में इसे मई के अंतिम सोमवार को मनाया जाने लगा।मेमोरियल डे मनाने में अमेरिकी महिलाओं का बड़ा योगदान
उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बीच की वह वजहें जो इतिहास के एक बड़े गृह युद्ध का कारण बनी
गृहयुद्ध में मारे गये सैनिकों की याद में बनाये गये कब्र |
विकास और परंपरा की टकराहट
1800 के दशक के बीच में उत्तरी राज्यों ने उद्योग को अर्थव्यवस्था का आधार माना, जबकि दक्षिण के राज्य पारंपरिक कृषि की व्यवस्था को बनाये रखे। उत्तरी अमेरिकी खेती से उद्योग की ओर चले गये, मगर दक्षिणी राज्यों ने, हालांकि, एक बड़ी कृषि अर्थव्यवस्था को बनाये रखा था। दक्षिणी राज्यों को लग रहा था कि उत्तरी राज्य उनके अधिकारों पर रोक लगाना चाहते हैं। उत्तरी अमेरिका समानांतर सोच वाली विचारधारा से प्रेरित थी तो दक्षिणी राज्य दासता और गुलामी के पुराने विचारधारा पर चल रहे थे।
अधिकार की लड़ाई
संघीय सरकार के पास राज्यों की शक्ति को लेकर कई तर्क दिये गये। राज्यों के अधिकार को लेकर नये नये विचार ने अमेरिका में गृह युद्ध का बीज बोया। संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अधिकार का विस्तार कर रही थी। दक्षिणी राज्यों को अपने अधिकार के खोने के डर ने दोनों पक्षों के बीच एक युद्ध का मैदान बनने की रचना कर दी। गया।
समानांतर सोच और पुरानी विचाारधारा की टकराहट
उत्तरी राज्यों के लिए गुलामी बुराई थी और वे सबको समान रूप में देखना चाहते थे, जबकि दक्षिणी राज्यों में गुलामी को स्वीकार करते हुए इस पर ही लोग निर्भर थे। उत्तरी राज्य के लोग इन्हें उन्मादी मानते थे। इसलिए वे दासता को पूरे अमेरिका में गैरकानूनी बनाना चाह रहे थे। जॉन ब्राउन, फ्रेडरिक डगलस जैसे उन्मूलनवादियों ने जब लोगों को समझाना शुरू किया तो दक्षिणी राज्यों को अपना अस्तित्व व जीवन जीने के साधन खोने का डर सताने लगा।छोटी-छोटी झड़पें होने लगी थी शुरू
1854 में जब सरकार ने कंसास-नेब्रास्का अधिनियम पारित किया और कंसास के लोगाें को गुलामी या स्वतंत्रता के बीच चयन करने का अधिकार दिया तो दोनों पक्षों हिंसक झड़पें शुरू हो गयी थी, जिसमें लोग मारे गये थे। लंबाई लड़ाई के पश्चात आखिरकार 1861 में कंसास स्वतंत्र राज्य के रूप में शामिल हुआ।
अब्राहम लिंकन की उदारवादी छवि
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गये अब्राहम लिंकन की छवि उदारवादी व सामाजिक समानता वाली विचारधारा की थी। लिंकन के राष्ट्रपति बनने के बाद दक्षिण के राज्य संयुक्त राज्य अमेरिका का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। दक्षिण कैरोलिना से शुरू होकर 11 कॉन्फेडेरेट स्टेट को लगा था कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़ देंगे। मगर उन्हें रोकने के लिए लिंकन सैनिकों को मैदान में लाया। इसके बाद गृहयुद्ध छिड़ गया।
अब्राहम लिंकन की उदारवादी छवि
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गये अब्राहम लिंकन की छवि उदारवादी व सामाजिक समानता वाली विचारधारा की थी। लिंकन के राष्ट्रपति बनने के बाद दक्षिण के राज्य संयुक्त राज्य अमेरिका का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। दक्षिण कैरोलिना से शुरू होकर 11 कॉन्फेडेरेट स्टेट को लगा था कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़ देंगे। मगर उन्हें रोकने के लिए लिंकन सैनिकों को मैदान में लाया। इसके बाद गृहयुद्ध छिड़ गया।युद्ध का आरंभ और अंत
कॉन्फेडेरेट सैनिकों को रोकने के लिए 12 अप्रैल, 1861 को दक्षिण कैरोलिना के फोर्ट सुमेर में संघ के सैनिकों पर कॉन्फेडेरेट ने बमबारी कर दी1 यहीं से युद्ध छिड़ गया और चार साल तक लंबी आंतरिक लड़ाई में कॉन्फेडेरेट के ई ली ने 9 अप्रैल को आत्मसमर्पण कर दिया। 6 लाख लोगों की मौत के बाद आखिरकार एक संधि के साथ यह युद्ध समाप्त हो गया। युद्ध समाप्ति के साथ ही अमेरिकी इतिहास में यह उन सैनिकों की शहादत और सम्मान के लिए यादगार दिन हो गया, जिसे मेमोरियल डे के रूप में लोग अवकाश के साथ मनाते हैं। इस दिन अमेरिकी सैनिकों के कब्र को फूलों से सजाते और आदरभाव के साथ उन्हें याद करते हैं।
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