क्या बंद हो जायेगा एटलस साइकिल कंपनी का आखिरी कारखाना, जानें पूरा सच

आखिर 'एटलस' साइकिल कंपनी के कारखाने के गेट पर क्‍यों चिपकाया गया नोटिस

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बचपन में जब लोगों के लिए मोटरसाइकिल एक सपना हुआ करती थी, तब एटलस साइकिल ही शान की सवारी मानी जाती थी। दूसरों के पास साइकिल देख अपनी भी तमन्‍ना साइकिल रखने की होती थी। वह साइकिल की ट्रिंग ट्रिंग घंटी कानों पर पड़ते ही लगता था कि मानो हम कोई शाही सवारी कर रहे हों या फिर बगल से कोई शाही सवारी गुजर रही है। एटलस की किताबों में तो दुनिया का मानचित्र छिपा था, मगर उस मानचित्र के एक छोटे से कोने से दूसरे कोने तक जाने के लिए एटलस की साइकिल लोगों के जीवन का हिस्‍सा थी। आज भी साइकिल की सवारी करने वालों की पहली पसंद एटलस ही थी, मगर 69 साल की उम्र में एक काम करने वाले इंसान की तरह यह भी बूढ़ी होकर थक जायेगी इसका एहसास किसी को नहीं था। विश्‍व साइकिल दिवस के दूसरे दिन ही भारत की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस पर भी कोरोना संकट का ग्रहण लग जायेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था।

काम करने गए थे कामगार, फैक्ट्री के बाहर लगे नोटिस ने उड़ाये होश

रोज की तरह जैसे हीं कंपनी के कर्मचारी फैक्ट्री पहुंचे तो गेट पर लगा नोटिस देख उनके होश उड़ गये । किसी ने भी नहीं सोचा था कि जिस खून पसीने से सैकड़ों कामगारों ने लोगों के लिए सवारी बनायी, उससे पेट भरने वाले हाथ अब बेकार हो जायेंगे। कोरोना संक्रमण का पहला असर एटलस जैसी विश्वसनीय कंपनी पर पड़ा और इसे चलाने में कंपनी ने हाथ खड़े कर दिये. नोटिस चिपकने के बाद विपक्ष के निशाने पर राज्य की योगी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार आ गयी है। कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का स्लोगन देने के कुछ दिन बाद ही एटलस कंपनी प्रबंधन की ओर से वित्तीय संकट की बात कहकर कर्मियों को ले-ऑफ में रहने के नोटिस से भारतीय राजनीति गर्मा गयी है।

क्‍या बच पायेगी एटलस कंपनी

भारतीय राजनीति के मानचित्र पर केवल एटलस साइकिल कंपनी की ही चर्चा है। विपक्ष सरकार को घेर रहा है, जबकि मीडिया भी कारखाना बंद होने की खबरों को बड़ी उत्‍सुकता से दिखा रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्‍या एटलस कंपनी बंद हो गयी या फिर सरकार इसे बचा लेगी। तो इसके लिए सबसे पहले कारखाना के गेट पर लगे नोटिस को ध्‍यान से पढ़ने की जरूरत है। नोटिस में प्रबंधन ने वित्‍तीय संकट का हवाला देते हुए कर्मियों को ले-ऑफ पर रहने का निर्देश दिया है और कर्मियों को 3 जून से गेट के बाहर बैठने और रोजाना हाजिरी बनाने का भी निर्देश दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी ने अभी कर्मियों को हटाया नहीं है और ना ही कारखाना बंद करने की घोषणा की है। राज्‍य व केंद्र सरकार से वित्‍तीय मदद मिलने के बाद दोबारा कंपनी चालू होने की गुंजाइश बनी हुई है। इसलिए, अभी यह मान लेना कि एटलस कंपनी अब बंद हो गयी है यह जल्‍दबाजी होगी।

क्या लिखा है नोटिस में


एटलस साइकिल के कारखाना प्रबंधन ने नोटिस में अपने कर्मियों को जानकारी दी कि पिछले कई सालों से कंपनी घाटे में चल रही है। दैनिक खर्चों के लिए भी पैसे नहीं हैं। कंपनी ने कच्‍चा माल खरीदने में असमर्थता जताते हुए पैसे का प्रबंध नहीं होने व स्‍थिति ठीक नहीं होने तक कर्मियों को फिलहाल ले-ऑफ में रहने का निर्देश दिया है।


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