चीन को बुलेट नहीं वॉलेट से हराना होगा
चीन के सामानों के बहिष्कार के लिए पूरे देश में अक्सर एक मुहिम चली है। होली हो या दीपावली देशवासियों ने कई बार चीन के सामान का इस्तेमाल नहीं करने के लिए आंदोलन चलाया। इसके बावजूद चीन का हमारे देश के बाजार पर बड़ा कब्जा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के आरोपों के बीच चीन ने अब डबल गेम खेलना शुरू कर दिया है। चीन यह अच्छी तरह जानता है कि पूरी दुनिया में अभी कोरोना महामारी फैली है और सभी देशों के निशाने पर वह है। इन सबके बावजूद वह जानबुझ कर अपने पड़ोसी देश की सीमाओं को कब्जा करने और लोगों का ध्यान बांटने के लिए अपनी सेना का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में चीन और भारत के बीच लद्दाख में सीमा विवाद के बीच इन दिनों सोनम वांगचुक चर्चा में हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर चीनी सामानों केबहिष्कार के लिए एक कैंपेन चला रखा है, जिसका पूरे देश में समर्थन हो रहा है।
चीन के सामानों के बहिष्कार की छेड़ी मुहिम
1 सितंबर 1966 को लद्दाख में जन्मे सोनम वांगचुक 54 साल के होने वाले हैं। एक इंजीनियर, अविष्कारक होने के साथ-साथ सोनम ने लद्दाख में स्कूली शिक्षा को एक नया रूप दिया है। सोनम पर बनी फिल्म थ्री इडियट ने उन्हें पहचान दी। सोनम का मानना है कि चीजें खुद नहीं बदल सकतीं, बल्कि उन्हें बदलने के लिए लोगों को आगे आना होगा। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत लद्दाख को अपने देश का हिस्सा मान रहा है, जबकि भारत चीन के दावों को खारिज करते हुए लगातार इसका विराेध कर रहा है। भारत का हिस्सा होने के बावजूद चीन लद्दाख में सीमा विवाद करते हुए भारतीय सैनिकों से भिड़ रहा है। इसी बीच सोनम ने भी भारत के समर्थन में चीन को कड़ा जवाब दिया है। सोनम ने अपने यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चीन के खिलाफ एक अलग जंग छेड़ दी ''चीनी सामानों के बहिष्कार की''। सोनम का कहना है कि चीन को अगर हराना है तो सबसे बड़ा हथियार उसके सामानों का बहिष्कार है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना तो चीन को बुलेट से जवाब दे ही देगी, मगर देशवासियों को भी इसका जवाब वॉलेट से ही देना होगा। जब चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, तभी यह देश घुटनों के बल पर होगा।
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