मरते मरते दुनिया के लिए सवाल छोड़ गया George Floyd
25 मई को स्टोर में सिगरेट का पैकेट खरीदने पहुंचे उस 46 साल के इंसान ने यह कतई नहीं सोचा होगा कि चंद पलों बाद आने वाली उसकी मौत पूरी दुनिया को सुलगा देगी। जाति, धर्म और चमड़े के रंग में भी बंट चुके संसार में ऐसी घटनाओं का असर एक समाज, एक राज्य, एक देश और फिर पूरी दुनिया पर पड़ता है और यही अमेरिका के मिनिसोटा के मिनीपोलिस शहर में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के साथ हुआ।
पहले जाने क्या हुआ था 25 मई को
एक रैपर, एक ट्रक ड्राइवर और एक सुरक्षा गार्ड के रूप में अपनी जिंदगी जी रहे 25 मई को George Floyd एक स्टोर में 20 डॉलर में सिगरेट का पैकेट खरीदता है। करेंसी नकली होने का शक जताकर स्टोरकीपर यह जांनकारी मिनिपोलिस शहर की पुलिस को देता है। स्टोर से बाहर निकलते ही पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंचती है और उससे करेंसी के बारे में पूछताछ करती है। जॉर्ज पुलिस को अपनी जानकारी देकर करेंसी सही होने की बात कहता है और आगे की पूछताछ में मदद की बात कहकर नीले रंग की वैन में बैठने के लिए आगे बढ़ता है। इस दौरान पुलिस उसे रुकने को कहती है, मगर जॉर्ज आगे बढ़ जाता है। तभी पुलिस उसे कस्टडी में लेती है और जमीन के बल पर लेटा देती है। फिर, एक पुलिसकर्मी उसके गर्दन को घुटनो से दबा देता है। जॉर्ज बार-बार पुलिस से छोड़ने और सांस लेने में तकलीफ होने की परेशानी बताता है। मगर, पुलिस उसकी बातों को दरकिनार कर लगभग 8.44 मिनट तक गर्दन दबे रहने के बाद सांस नहीं ले पाने के कारण जॉर्ज की मौत हो जाती है। इस पूरी घटना का वीडियाे मौके पर मौजूद कुछ स्थानीय लोग अपने मोबाइल में कैद कर लेते हैं और चंद सेकंड में यह सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है।
George Floyd की हत्या पर कैसे चढ़ा नस्लीय रंग
अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का भेदभाव वर्षों से चला आ रहा है। सालों से यह अश्वेत अमेरिकी समानता की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये अपनी आवाज बुलंद करने के लिए अक्सर आंदोलन करते रहे हैं। 1968 में मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद से लेकर आजतक कई बार दंगे हुए। जिसमें लोगों ने जानें गंवायी है। अमेरिका या कहें तो पश्चिम देशों में नस्लीय भेदभाव का रूप इतिहास से देखने को मिलता है। अमेरिकी पुलिस पर पहले भी नस्लीय भेदभाव में किसी अश्वेत को मारने का आरोप लगा है।
जब मारा गया इंसान तो भेदभाव क्यों
George Floyd की हत्या के साथ ही अमेरिका में ट्रम्प सरकार से नाराज चल रहे मीडिया, कुछ संस्थानों और राजनेताओं को तो जैसे एक बूस्टर मिल गया।जब हर मरने वाला शख्स एक इंसान होता है, तो फिर फिर जॉर्ज की मौत को एक अपराध, एक हत्या की जगह सभी इसे नस्लीय रूप देने की कोशिश जारी रही। ऐसे समय में Antifa जैसा संगठन भी सक्रिय हो जाता है और सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो जाता है। जॉर्ज की हत्या का इंसाफ मांगते मांगते ये लोग हिंसक हो जाते हैं और दुकानों में लूटपाट शुरू कर देते हैं, इसका अंदाजा भी नहीं लगता।
कुछ सवाल जो रह गए बाकी
- George Floyd को कस्टडी में लेते वक्त मिनिपोलिस के उन पुलिस अफसर ने क्या उसे अश्वेत या फिर नस्लीय टिप्पणी की थी?
George Floyd की मौत को हत्या नहीं बताकर आखिर क्यों सोशल मीडिया में वायरल करते समय अश्वेत की हत्या का जिक्र किया गया था?
- अमेरिका और दूसरे देश में आखिर कब तक ऐसे भड़काने वाले लोगों का समर्थन होता रहेगा?
- George Floyd जैसे बेकसूर और निर्दोष लोगों की मौत पर आखिर कब भड़काने की राजनीति बन्द होगी?