ट्वीटर पर सचिन पायलट ने कांग्रेस छोड़ने के दिये संकेत
पिछले कुछ दिनों से राजस्थान की राजनीति यहाँ की दोपहर की रेत की तरह गरमाई हुई है। गुजरात में कांग्रेस पार्टी जहां युवा चेहरे के रूप में हार्दिक पटेल को पार्टी की कमान थमाकर सत्ता वापसी की राह तैयार कर रही है, वहीं राजस्थान में पार्टी की सत्ता हाथ से रेत की तरह फिसलती नजर आ रही है। कांग्रेस पार्टी अपने ही अंदरूनी कलह से परेशान है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस आलाकमान के सबसे भरोसेमंद कहे जाने वाले सचिन पायलट की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ के बीच का मनमुटाव अब खुलकर सामने आ गया है। सचिन पायलट ने अपने साथ 36 विधायक होने की बात कहकर गहलोत सरकार को सत्ता से बेदखल करने का प्लान तैयार कर चुके हैं, वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने भी भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाकर अपनी नेतृत्व क्षमता को आलाकमान के सामने कम नहीं दिखाना चाह रहे। कांग्रेस पार्टी के तमाम प्रयासों के बावजूद गहलोत सरकार से नाराज चल रहे सचिन पायलट ने भाजपा में शामिल होने के भी संकेत दे दिए हैं। सचिन पायलट ने अपने ट्वीटर एकाउंट से भी इसकी जानकारी दे दी है। अब यह देखने वाली बात होगी कि सचिन पायलट के तैयार होने वाले भाजपा के नये घर में प्रवेश किस दिन होता है।
चुनाव के बाद से ही चल रही थी अनबन
राजस्थान में सत्ता से भाजपा की वसुंधरा राजे की सरकार को चुनाव में हराने के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता में तो आ गयी थी मगर उसी समय से अशोक गहलोत और सचिन पायलट में अंदरूनी कलह शुरू हो गयी थी। यह ठीक उसी तरह था जैसे मध्यप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुआ। जिस तरह दोनों के बीच की खटपट ने कांग्रेस पार्टी को वहाँ की सत्ता से दूर कर दिया था, ठीक वैसी ही स्थिति राजस्थान में बन रही है। मगर, सचिन की नाराजगी तब ज्यादा बढ़ गयी जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खरीद फरोख्त के आरोपों में सचिन पायलट का नाम घसीट दिया गया और यह सब सचिन पायलट को नागवार गुजरा और उन्होंने अपना अलग रास्ता चुन लिया।
सचिन और ज्योतिरादित्य की दोस्ती
एक समय में राहुल गांधी और सचिन पायलट व ज्योतिरादित्य की दोस्ती काफी गहरी हुआ करती थी। इसकी एक वजह तीनों के पिता की राजनीतिक और पारिवारिक दोस्ती भी थी। मगर, कांग्रेस पार्टी की चुनावों में लगातार हार और राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर उठते सवाल के बीच पार्टी के सचिन और ज्योतिरादित्य इन दो युवा नेताओं को दरकिनार किये जाने से भी अंदरखाने में दरार आने लगी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद से सचिन पायलट ने भी कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का मन बना लिया था। रविवारर की रात सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चली करीब 40 मिनट की बैठक के बाद सचिन ने कांग्रेस की जगह भाजपा का पायलट बनने का इशारा कर दिया है।