Amar singh: किडनी की बीमारी से जूझ रहे सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में निधन

कभी सत्ता की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते थे , सबकुछ पाकर भी खो गये अमर


राज्यसभा सांसद अमर सिंह का एक अगस्त को सिंगापुर में निधन हो गया. वे 64 साल के थे और किडनी की बीमारी से ग्रसित थे.  उनके निधन की खबर मिलते ही सोशल साइट पर उनके राजनीतिक विरोधी से लेकर शुभचिंतकों ने शोक जताया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से उनके निधन पर दु:ख जताया और कहा कि सार्वजनिक जीवन में उनकी सभी दलों में मित्रता थी. अमर सिंह भारतीय राजनीति के वे नेता था जो एक समय केंद्र की सत्ता की दशा और दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते थे. समाजवादी पार्टी के सेक्रेटरी के तौर पर उन्होंने पार्टी को एक नयी पहचान दी थी. सत्ता, उद्योगपति और ग्लैमर के कॉकटेल को उन्होंने बड़ी ही खूबी से देश की राजनीति को आगे बढ़ाया. कभी बड़े बड़े राजनेताओं के बीच और बॉलीवुड से लेकर ग्लैमर की चकाचौंध में रहने वाले अमर सिंह का अंतिम समय काफी कष्टकारी रहा. उनका अंतिम समय गुमनामी में ही रहा, हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार वे काफी सक्रिय रहे और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए अपने ही पुराने साथियों पर भी निशाना साधा था. 

जीवन: बीए एलएलबी की डिग्री  प्राप्त कर उद्योगपति से मंझे हुए राजनीतिज्ञ बने अमर सिंह

यूपी के अलीगढ़ में हरिश्चंद्र सिंह और शैल कुमारी सिंह के घर राजपूत परिवार में जन्मे अमर सिंह ने अपनी बीए एलएलबी की डिग्री पूरी कर उद्योगपति के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. राजनीति के आकर्षण ने उन्हें अपनी और खींचा और वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े. हालांकि, बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये. 1996 में राज्यसभा सांसद चुने गये. मुलायम सिंह यादव से दोस्ती और बेहतर रिश्ते के कारण उन्हें समाजवादी पार्टी के सेक्रेटरी का पद मिला. समाजवादी पार्टी को मुकाम तक लाने के लिए उन्होंने काफी कुछ किया. उद्योगपतियों, फिल्म इंडस्ट्री के बड़े चेहरों से करीबी ने पार्टी को यूपी से छवि निकालकर राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया. अनिल अंबानी, अमिताभ बच्चन के साथ उनकी काफी गहरी दोस्ती थी, जो समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हुई. 

अमिताभ बच्चन को दिवालिया होने से बचाया था

90 के दशक में अमिताभ बच्चन जब बुरे दौर से गुजर रहे थे, उनकी फिल्में फ्लॉप हो रही थी. उनकी कंपनी एबीसीएल भी कर्ज में डूब गयी थी, तो अमर सिंह ने दोस्ती का फर्ज निभाया और उन्हें दिवालिया होने से बचाने में बड़ी मदद की. इसके अलावा जया बच्चन को राजनीति में लाया और उन्हें राज्यसभा का टिकट दिलाया. हालांकि, 2010 में पार्टी से निकाले जाने के बाद जब अमर सिंह ने जया बच्चन को भी पार्टी छोड़ने की बात कही तो वह इन्कार कर गयी. साल 2012 में अनिल अम्बानी की ओर से आयोजित एक पार्टी में अमर सिंह और जया बच्चन के बीच कुछ कहासुनी हो गयी, इसके बाद से उनके और अमिताभ बच्चन से पारिवारिक रिश्तों में भी दरार आ गयी. छह महीने पहले ही उन्होंने अमिताभ बच्चन पर दी गयी अपनी टिप्पणी को लेकर उनसे माफी मांगी थी. 90 के दशक में भारतीय राजनीति की दिशा और दशा तय करने में एक बड़े किरदार के रूप में अमर सिंह को जाना जायेगा.

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