गोड्डा सांसद पर एफआइआर की वजह नियमों का उल्लंघन या कुछ और ?

सांसद निशिकांत दुबे समेत नौ पर मामला दर्ज होने में आखिर क्यों लगे 48 घंटे



31 अगस्त को चार्टर्ड प्लेन से देवघर से दिल्ली रवाना होने के दौरान देवघर एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम में प्रवेश को लेकर भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे समेत उनके बेटे, सांसद मनोज तिवारी समेत भाजपा नेता कपिल मिश्रा के अलावा एयरपोर्ट डायरेक्टर संदीप ढिंगरा पर मामला दर्ज कराया. इसके बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन गया। इधर, दो-तीन घंटे के अंदर गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने ट्विट कर देवघर डीसी मंजुनाथ भजंत्री पर भी देशद्रोह समेत अन्य गंभीर आरोपों को लेकर देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री पर जीरो एफआइआर दर्ज कराने की जानकारी दी । दुमका में पेट्रोल कांड और फिर राज्य की सियासत में उठापटक के बीच यह कार्रवाई देश की मीडिया में यह सुर्खियां बनी रहीं. लेकिन सवाल यह उठता है कि इस पूरे मामले में गलती किसकी है। क्या दोनों तरफ से की गयी यह कार्रवाई वाकई नियमों के उल्लंघन को लेकर हुई या फिर राजनीति से प्रेरित होकर की गयी। इसके पक्ष और विपक्ष में मीडिया घरानों व सोशल मीडिया पर वार छिड़ गया।

पहले जानें क्या है मामला

दरअसल, दुमका में पेट्रोल से जलाकर आग लगाई गई किशोरी की मौत के बाद देश भर में यह मुद्दा छाया रहा। इधर, झारखण्ड में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच पूरा मंत्रिमंडल अपनी सरकार बचाने के लिए रायपुर के रिसोर्ट में थी। विपक्ष ने राज्य की विधि व्यवस्था और पेट्रोल से जलाई गई किशोरी इलाज के समुचित व्यवस्था नहीं होने पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। वहीं गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी ओर भाजपा नेता कपिल मिश्रा के साथ दुमका जा कर पीड़ित परिजनों से मुलाकात की घोषणा कर दी। 31 अगस्त को सांसद निशिकांत दुबे अपने बेटे, सांसद ने मनोज तिवारी और पार्टी नेता कपिल मिश्रा के साथ चार्टर्ड प्लेन से देवघर पहुंचे। यहाँ से दुमका में परिजनों से मिलकर वापस फिर एअरपोर्ट आए और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सभी लोगों के दिल्ली लौटने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने ट्विटर हैंडल से निशिकांत दुबे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम में घुसकर चार्टर्ड प्लेन प्लान की अनुमति देने के दबाव का आरोप लगाया। बताया जाता है कि इसी के बाद मामले ने तूल पकड़ा और सभी पर मामला दर्ज हुआ।

राज्य सरकार और डीसी के साथ सांसद की टकराहट जगजाहिर

गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और देवघर डीसी मंजुनाथ भजंत्री के बीच तकरार किसी से छुपी नहीं है। समय समय पर इन दोनों के बीच की टकराहट सामने आ ही जाती है। वैसे भी सांसद निशिकांत दुबे और हेमन्त सोरेन के बीच की राजनीतिक तल्खियां जगजाहिर है। सांसद निशिकांत जहाँ बीच बीच में हेमन्त सोरेन और राज्य सरकार पर हमला करना नहीं चूकते हैं वहीं दूसरी ओर हेमन्त सोरेन भी हमेशा उन्हें निशाने पर लिए रहते हैं। इधर, देवघर डीसी और गोड्डा सांसद की भी जिले में नहीं बनती है, और डीसी मुख्यमंत्री के बेहद भरोसेमंद भी हैं। इससे पहले भी डीसी जिला निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में सांसद निशिकांत दुबे पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज करा चुके हैं। हालांकि निर्वाचन आयोग ने जहाँ एफआईआर को तर्कहीन बता दिया था, वहीं, मधुपुर विधानसभा उपचुनाव के ठीक पहले सांसद की शिकायत के बाद चुनाव प्रक्रिया तक जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद से हटाते हुए उन्हें मुख्यालय भेज दिया गया। इसके बाद से सांसद और डीसी के बीच गहरी खाई तैयार हो गई।

कहीं अंदर की कहानी तो यह नहीं

31 अगस्त को सांसद के लौटने 48 घंटे बाद 2 सितंबर को शाम के तकरीबन 7-8 बजे केकरीब कुंडा थाने में मामला दर्ज किया गया। इससे एक दिन पहले पहली सितंबर को जिले के बड़े अधिकारी कुंडा थाने पहुंचते हैं। लगभग 2 घंटे थाने में गुजारने के बाद वह वापस लौटते हैं और ठीक इसके 24 घंटे बाद कुंडा थाने में ही मामला दर्ज हो जाता है। जानकारी के अनुसार, इस एफआइआर के लिए पहले से दबाव बनाया जा रहा था, मगर मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारी इससे बच रहे थे। इधर, कुंडा एयरपोर्ट में पदस्थापित उक्त पदाधिकारी जिनके बयान पर मामला दर्ज हुआ, वह भी झारखंड पुलिस के अंतर्गत आते हैं। वहीं, उनके द्वारा मामला दर्ज कराने के कुछ ही घंटे बाद देवघर डीसी को मुख्य आरोपित बनाते हुए सांसद निशिकांत दुबे दिल्ली में एफआइआर कराते हैं। तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब एटीसी की सुरक्षा का भार झारखंड पुलिस के जिम्मे है तो आखिर एक संवेदनशील एरिया जहां किसी के जाने पर रोक है, वहां कोई कैसे चला गया। 

एटीसी सुरक्षा और एफआइआर के कुछ अनसुलझे सवाल

  1. जब एटीसी की सुरक्षा झारखंड पुलिस के जिम्मे है तो कोई कैसे इस संवेदनशील क्षेत्र में प्रवेश कर गया।
  2. सवाल यह भी कि एयरपोर्ट के उदघाटन के बाद कितनी बार लोगों ने एटीसी में प्रवेश किया, क्या इसकी कोई जांच हुई या कोई कार्रवाई की गयी।
  3. अगर, सक्षम पुलिस पदाधिकारी एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम की सुरक्षा नहीं कर पाए तो उनके खिलाफ क्या कोई विभागीय कार्रवाई की गई
  4. सवाल यह भी है कि एक जनप्रतिनिधि के तौर पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सांसद का जाना कितना उचित है।

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post