समय पर नहीं होती मीटर रीडिंग, विभाग दे रहा बिल का करंट
राज्य सरकारों की सब्सिडी की घोषणाएं सुनने में तो बड़ी ही लोक-लुभावन लगती है, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उपभोक्ता सब्सिडी के नाम पर कैसे ठगे जा रहे हैं, इसका बिजली विभाग ( Electricity Department) से बड़ा उदाहरण कोई नहीं हो सकता है। बिजली विभाग जहां बकाया वसूली के लिए अभियान चलाकर कार्रवाई कर जुर्माने के साथ मोटी रकम वसूल रहा है, वहीं बिजली बिल जेनरेट करने वाली एजेंसियों की मिलीभगत से उपभोक्ताओं को सब्सिडी में भी चूना लग रहा है, जिससे उपभोक्ताओं की दोनों तरफ से जेब काटी जा रही है....
पहले जानें झारखंड में बिजली विभाग के उपभोक्ताओं को कितनी मिल रही सब्सिडी
झारखंड में जुलाई 2022 में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने जनता को बिजली के इस्तेमाल पर सब्सिडी देने की बात कहकर राहत की तो घोषणा कर दी, मगर अधिकतर उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
झारखंड में बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी
- 100 यूनिट तक बिजली फ्री
- 101-200 यूनिट 3.50 रुपये/ यूनिट सब्सिडी के साथ
- 201-400 यूनिट 4.20 रुपये/यूनिट सब्सिडी के साथ
- 401 से अधिक 6.25/यूनिट सब्सिडी नहीं मिलेगी
बिजली बिल जेनरेट करने का समय एक से 31 तारीख्र
उपभोक्ता यूनिट दर कुल
1000 200 तक 200*3.50=700 रुपये 1000*700=7,00,000 ( सात लाख) रुपये
बिल जेनरेट होने में एक दिन की भी देरी होने पर
1000 201 201*4.20=844.2रुपये 1000.844.20=8,44,200 रुपये
अब जानिये कैसे आप पर सब्सिडी के नाम पर पड़ रही दोहरी मार
सरकारें बिजली पर सब्सिडी की घोषणाएं तो करती हैं, मगर बिजली का बिल जेनरेट करने का ठेका प्राइवेट एजेंसियों को दे रखा है, जबकि, बिजली बिल बकाया रहने पर जुर्माने और कानूनी कार्यवाही की जिम्मेदारी बिजली विभाग के अधिकारियों ने अपने पास रखी है। अब अगर समय पर बिल जेनरेट नहीं हुआ तो उपभोक्ता सब्सिडी से वंचित तो रह ही जाते हैं, उन्हें विभाग की कार्यवाही भी भुगतनी पड़ती है। मतलब, सब्सिडी हाथ से निकलते ही अधिक पैसे तो चुकाने पड़ेंगे ही, विभाग से कानूनी कार्यवाही और जुर्माना अलग से। बकाये के नाम पर विभाग तो बिजली कनेक्शन भी काट देता है।
क्या है फंडा
एक उपभोक्ता बिजली बचत करते हुए 100 यूनिट तक ही खपत करता है तो उसे फ्री बिजली मिलेगी, मगर जहां समय पर बिल जेनरेट नहीं हुआ तो उसे तुरंत 3.50 रुपये की दर से भुगतान करना होगा। और 201 यूनिट का आंकड़ा होते ही 4.20 रुपये की दर से देना पड़ेगा।
मान लीजिए, 1000 उपभोक्ता पूरे महीने 200 यूनिट की खपत करता है तो 3.50 रुपये की दर से (प्रति उपभोक्ता 200*3.50=700 रुपये) कुल 7,00,000 रुपये चुकाने होंगे। लेकिन, अगर बिजली बिल जेनरेट करने में एक दिन की भी देरी हुई तो एक यूनिट बढ़ते ही यह 201 यूनिट हो जायेगा, जिसके बाद उन्हीं 1000 उपभोक्ताओं से बिजली विभाग प्रति यूनिट 4.20 रुपये की दर से (201*4.20=844.20 रुपये ( प्रति उपभोक्ता) ) कुल 8,44,200 रुपये वसूल लेगा। इस हिसाब से विभाग हर एक दिन की देरी पर 1,44,200 रुपये अतिरिक्त वसूल रहा है, जिस कारण उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ रही है।
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