जियो बनी वायरलाइन सेवा देनेे वाली देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी
एक उपभोक्ता या ग्राहक के तौर पर जब कोई उत्पाद खरीदते हैं तो हमारे मन में दो ख्याल जरूर आते हैं एक उस कंपनी की सेवा और दूसरा उसका ब्रांड वैल्यू। ये दोनों चीजें अगर सही रहीं तो बाद में उसकी कीमत बजट के हिसाब से तय होती है। ग्राहकों की इसी सोच को भुुनाया रिलायंस ने। जियो के माध्यम से रिलायंस ने सस्ते कॉल और इंटरनेट की सुविधा देकर एक नयी क्रांति लायी है। ट्राइ ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया है कि रिलायंस की जियो कंपनी अब वायरलााइन सेवा में देश की सबसे बड़ी कंपनी हो चुकी है।
रिलायंस जियो के तेजी से बढ़ रहे ग्राहक |
वायरलाइन सेवा में बीएएसएनएल ने 15734 ग्राहक खोये, रिलायंस जियो ने अगस्त में 2.62 लाख और भारती एयरटेल ने 1.19 लाख ग्राहक जोड़े
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राइ) ने 18 अक्तूबर मंगलवार को ग्राहकों की रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त तक रिलायंस जियो के कुल ग्राहक 73.52 लाख हो गये, जबकि 22 साल पुरानी सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनल के 71.32 लाख ही रह गये। आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने में ही रिलायंस जियो ने 2.62 लाख ग्राहक जोड़ लिये। वहीं, भारती एयरटेल नेे 1.19 लाख नये ग्राहक बनाये। इस बीच बीएसएनएल ने अगस्त महीने में 15,734 और एमटीएनएल ने 13,395 गंवा दिये। दूसरी कंपनियों की बात करें तो टाटा टेलीसर्विसेस ने 4202 और 3769 नये ग्राहक बना लिये। ट्राइ के अनुसार, अगस्त महीने तक भारत में टेलीफोन के 117.50 करोड़ ग्राहक हो चुके हैं।
टेलीकॉम कंपनियों की प्रतिस्पर्धा ने ग्राहकों को दिलाया फायदा, मिली सस्ती कॉल व इंटरनेट सेवा की सुविधा
एक दौर था जब लगभग हर गलियों में बीएसएनएल के टेलीफोन के तार झूलते रहते थे। एक कॉल करने के बाद लोग अपनी नजर टाइम पर रखा करते थे, ताकि उनका बिल न बढ़ जाये। इंटरनेट लोगों की जरूरत होते हुए भी महंगे होने की वजह से आम लोगों की पहुंच से दूर था। उस समय में सरकार की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल का दबदबा हुआ करता था। लोग बीएसएनएल का कनेक्शन लेने के लिए लाइन में लगे रहते थे व विभाग के पदाधिकारी किसी बाबू साहेब की तरह ऐंठन में कभी दायें कभी बायें झांकते हुए अकड़ में रहा करते थे। लेकिन, आज तस्वीर बदल चुकी है। निजी कंपनियों के टेलीकॉम सेक्टर में कूदने के बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ती गयी और ग्राहकों को विकल्प मिलने लगा। फिर, बेहतर सेवा और कंपनी की ब्रांड वैल्यू के बाद कीमतों में प्रतिस्पर्धा ने ग्राहकों को सस्ती कॉल और इंटरनेट सेवा ने अपनी ओर खींचा। रिलायंस की जियो कंपनी के आने के बाद इंटरनेट क्रांति आयी, उसने दूसरी कंपनियों को ताश के पत्ते की तरह ढेर कर दिया और बीएसएनएल भी इससे अछूता नहीं है।
क्या है ग्राहकों के बीएसएनएल से दूरी बनाने का कारण
बताया जाता है कि बीएसएनएल की यह दुर्गति सरकारी उदासीनता, अधिकारियों की प्राइवेट दूरसंचार कंपनियों से मिलीभगत के कारण हुई है। मोटी तनख्वाह पाने वाले बीएसएनएल के अधिकारियों ने कभी भी सेवा दुरुस्त करने पर ध्यान नहीं दिया। वे केवल कुर्सियां तोड़ते रहे और इधर बीएसएनएल के ग्राहक उनसे दूर होते गये। अब भी जब बीएसएनएल का लैंडलाइन कनेक्शन के लिए भूले-भटके लोग कार्यालय पहुंच जाये तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। वहीं, प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां किसी भी तरह की शिकायत होने पर तुरंत इसका निबटारा करती हैं।
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