Gujarat Election 2022: कांग्रेस की चुनावी नैया में कहां पर कन्हैया

दमदार भाषण, मोदी विरोधियों के बीच बड़ी पकड़, फिर भी वोटरों को रास नहीं आ रहे कन्हैया 

राजनीति में एक बात सीधी और स्पष्ट है कि किसी नेता के भाषणों से भीड़ में बजने वाली तालियां या सोशल मीडिया में लाखों व्यूज के बाद भी अगर यह वोट में तब्दील नहीं हो पा रही है तो इसका सीधा मतलब है कि जनता के लिए वह केवल मनोरंजन का साधन मात्र है या फिर उसकी किसी विचारधारा से जुड़े होने के कारण वोटर प्रभावित नहीं हो रहे, फिर भले ही उसके लिए मीडिया एक मशीनरी के रूप में काम कर रही हो। जेेएनयू आंदोलन के बाद भारतीय राजनीति में युवा नेता के रूप में राष्ट्रीय चेहरा बन चुके कन्हैया कुमार का भाषण मोदी विरोधियों को तो खूब लुभा रहा है, मगर चुनावों के दौरान यह वोटों में तब्दील नहीं हो पा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण हाल में संपन्न हुए गुजरात चुनाव के परिणाम है। 

कन्हैया कुमार का भाषण मोदी विरोधियों को तो खूब लुभा रहा है, मगर चुनावों के दौरान यह वोटों में तब्दील नहीं हो पा रहा है

गुजरात चुनाव में कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों में शामिल थे कन्हैया कुमार

 28 सितम्बर 2021 को जब कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए तो ऐसा लगा जैसे बिहार कांग्रेस को एक बड़ा तारणहार मिल गया। कांग्रेस पार्टी को लगा कि कन्हैया के जरिये बिहार के साथ दूसरे राज्यों में भी पार्टी को मजबूती मिलेगी, खासकर युवाओं के बीच पार्टी कि मजबूत पैठ बन जायेगी, जिसका फायदा चुनावों में मिलेगा। गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने यही सोचकर कन्हैया को अपने 40 स्टार प्रचारकों में शामिल किया था, लेकिन चुनावी फायदा पार्टी को नहीं मिला। इसके ठीक विपरीत कन्हैया की कांग्रेस में एंट्री का भाजपा ने फायदा उठा लिया और जो लोग जेएनयू में कन्हैया के भारत विरोधी बयानों से आक्रोशित थे, वह भी मोदी से नाराजगी के बावजूद या तो भाजपा के समर्थन में चले गए या फिर विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी व दूसरी पार्टियों के साथ हो लिए। अपने दमदार भाषणों के बावजूद कन्हैया कुमार उन सीटों पर भी वोटरों को नहीं लुभा सके , जहाँ कांग्रेस पार्टी के विधायक थे। यहाँ तक कि गुजरात में एक बड़े दलित चेहरा कांग्रेस पार्टी के ही जिग्नेश मेवानी भी हारते-हारते बचे।

जिग्नेश मेवानी के लिए किया दमदार प्रचार, मगर मुश्किल से मिली जीत

कन्हैया कुमार ने गुजरात Gujarat Election 2022 की वडगाम सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार और राज्य के बड़े दलित नेता जिग्नेश मेवानी के लिए धुवाँधार प्रचार किया।  यहाँ तक कि अपने चुनावी कैंपेन में दमदार भाषण दिये । कई जगहों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा की केंद्र और गुजरात सरकार के खिलाफ दिये गए उनके भाषण मोदी विरोधियों के सोशल मीडिया हैंडल पर तेजी से वायरल होने लगे।  इसके बावजूद जब चुनाव परिणाम सामने आये तो गुजरात की वडगाम सीट भी कांग्रेस मुश्किल से बचा सकी। जिग्नेश मेवानी के लिए जहाँ 94765 वोटों के साथ  48 फीसदी मत पड़े, वहीँ नजदीकी प्रतिद्वन्दी भाजपा के मणिभाई जेठाभाई वाघेला को 89837 वोट यानि 45.51  % वोट पड़े। यह जीत का अंतर महज 2.49 % रहा। 

भाजपा में आये हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर भारी मतों से जीते 

एक वक्त गुजरात में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की तिकड़ी ने राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा के पसीने छुड़ा दिये थे। गुजरात में पाटीदार आंदोलन का बड़ा चेहरा बन चुके हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने राज्य में अपनी वापसी के लिए पार्टी में तो शामिल कर बड़ा पद भी दे दिया, मगर तरजीह नहीं मिलने से वह भाजपा में शामिल हो गये, वहीँ अल्पेश ठाकोर के साथ गुजरात चुनाव  में दमदार जीत हासिल कर ली। वीरमग्राम सीट से हार्दिक पटेल ने 99155 (49.64% ) वोट मिले, जबकि कांग्रेस के बीएल भीखाभाई को आधे से भी कम 42724 (21.39%) वोट मिले। यही हाल गांधीनगर दक्षिण सीट का रहा। यहाँ से अल्पेश ठाकोर को 134051 (54.59%) वोट और कांग्रेस के डॉक्टर हिमांशु पटेल को 90987 (37.05% ) वोट हासिल हो सके। 


 

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