बृजभूषण सिंह न्यूज: दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का राजनीतिक 'दंगल'

बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप क्या राजनीतिक षड्यंत्र

भारतीय कुश्ती को एक नया आयाम दिलाने वाले भारतीय कुश्ती संघ के तीन बार के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं। उन पर महिला खिलाड़ियों पर यौन शोषण  का आरोप लगा है। आरोप गंभीर हैं तो मुद्दे उठेंगे ही और ऐसा हुआ तो राजनीति भी होगी। लिहाजा, देश की राजनीति नयी दिल्ली एक बार फिर आंदोलन का गढ़ बन चुकी है। अब निशाने पर हैं बृज भूषण शरण सिंह और इनके बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। छह बार के भाजपा सांसद रहे बृजभूषण सिंह उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से चुनकर आये हैं। यूपी में पहलवानों के दंगल का पुराना इतिहास रहा है। मगर, कुश्ती की बात करें तो यूपी और हरियाणा के जाट समुदाय की इसमें मजबूत पकड़ है। कुश्ती यहां के रग-रग में रची बसी है। लेकिन, दु:खद पहलू यह है कि कुश्ती संघ भी अब राजनीति का अखाड़ा बन चुका है। बृजभूषण सिंह न्यूज

केवल आरोपों पर खड़ा आंदोलन, कैसे-कैसों का समर्थन

विनेश फोगाट, साक्षी मलिक सरीखे पदक विजेताओं ने मीडिया के सामने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के गंभीर आरोप  लगाये हैं। उनके समर्थन में बजरंग पुनिया समेत एथलीटों का एक धड़ा और विपक्ष के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी को नापसंद करने वाला मीडिया भी किसान आंदोलन की तरह इसे भुनाने में जुट गया है। सच्चाई को जाने परखे इन दिनों मीडिया का एक ट्रायल चल पड़ा है, जिसमें एक बड़ा टूल किट (Toolkit) काम कर रहा है। आखिरकार, आंदोलन नया है और इसे समर्थन देने वाले अधिकतर चेहरे वही हैं, जो किसान आंदोलन के दौरान थे।

जांच कमेटी के सामने नहीं आये, पर जारी रखा आरोप

पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में पीटी उषा, मैरीकॉम और योगेश्वर दत्त जैसे लोग शामिल किये गये थे, जिनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा उठाना मुश्किल है। आरोप लगाने वाले पहलवानों और जिनके साथ इन घटनाओं के होने का दावा किया गया, वे कमेटी के सामने नहीं आये। लेकिन, अपने आरोपों को मीडिया के जरिये लगाने का सिलसिला जारी रखा। 

बृजभृषण ने आरोपों को क्यों बताया राजनीति से प्रेरित

अपने ऊपर लगे आरोपों को बृजभूषण बेबुनियाद बता रहे हैं। उनका कहना है कि पहलवान किसी खास गुट से प्रेरित होकर उनके खिलाफ षडयंत्र के तहत आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने हरियाणा के हुड्डा परिवार पर इसके पीछे की साजिश बताया है। बृजभूषण के दावों पर एक बल और मिलता है कि जब आरोप उनपर लगे तो जंतर-मंतर पर मोदी के खिलाफ नारेबाजी क्यों हो रही है। 

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जिनके खुद के दामन में दाग, वह कर रहे सफाई की बात

अब बात करें आरोप लगाने वालों और इसके दूसरे पक्ष की। भाजपा सांसद पर आरोप लगाने वाले खिलाड़ियों को समर्थन देने के लिए पप्पू यादव, अरविंद केजरीवाल, प्रियंका वाड्रा और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा मंच पर आये। पप्पू यादव जिनकी छवि खुद बिहार में बाहुबली की रही है, वे न्याय-अन्याय की बात करें तो इससे हंसी वाली बात क्या होगी। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात  करें तो वह पहले ही शराब घोटालों से घिरे हैं, वहीं मुख्यमंत्री आवास पर करोड़ों रुपये लुटा देने के बाद उनकी बोलती बंद पड़ी है। ऐसे में पहलवान उनके लिए राजनीतिक मुद्दे के अलावा कुछ भी नहीं है। अब आगे बात करें प्रियंका वाड्रा और रॉबर्ड वाड्रा की। प्रियंका वाड्रा का राजनीतिक इतिहास सभी जानते हैं। वह घरों से तीन समय ही निकलती है पहला, अगर उनके भाई या पति को जांच एजेंसी बुलाये, दूसरा चुनाव और तीसरा ऐसे मुद्दे जिस पर वह राजनीति कर सकें। महिला इंसाफ की बात करने वाली प्रियंका ने असम के अपने पार्टी के नेता को बचाने के लिए उस पर आरोप लगाने वाली महिला को ही पार्टी से निकाल दिया। अभिषेक मनु सिंघवी प्रकरण भी कौन भूल सकता है। अब रॉबर्ट वाड्रा की तो बात करनी ही बेकार है। उन पर खुद जांच एजेंसी की तलवार लटक रही है। 

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