स्टेशन मास्टर की लापरवाही और तकनीकी गलतियों से हुआ बालासोर हादसा
बालासोर रेल हादसे का सच तकरीबन एक महीने की गहन जांच के बाद सामने आया है, जिसमें स्टेशन मास्टर की चूक और तकनीकी गलतियों को हादसे की वजह बतायी गयी है। घटना से सीख लेने की आवश्यकता है। रेलवे सुरक्षा एवं सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सभी संबंधित अधिकारी और कर्मचारी सक्रियता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करें। सुरक्षा पर संदेह नहीं किया जा सकता है, और रेलवे सुरक्षा में सदैव प्राथमिकता रखनी चाहिए। इस दुर्घटना को एक सबक के रूप में लेकर हमें सुरक्षा प्रथाओं को सजाग रहना चाहिए, ताकि हम सभी की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित हो सके।
ओडिशा (Odisha) के बालासोर (Balasore) जिले में दो जून को हुए रेल हादसे का सच सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, सीआरएस (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) ने रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट दी है, जिसमें इस दुखद रेल हादसे के पीछे सिग्नल और टेलीकाम डिपार्टमेंट की कई गलतियों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस हादसे के लिए बाहानगा बाजार स्टेशन के मास्टर एसवी महान्ति की लापरवाही भी जिम्मेदार ठहराई गई है। सीआरएस की जांच रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरलाकिंग सिस्टम में गलती का भी उल्लेख है। इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरलाकिंग सिस्टम में हुई गलती के कारण, सिग्नल को 14 सेकंड में बदलना चाहिए था। हालांकि, हादसे के दिन सिग्नल में अस्वाभाविक परिवर्तन देखा गया था। उस दिन सिग्नल को बदलने में 14 सेकंड के बजाय 37 सेकंड लगे।
स्टेशन मास्टर ने रिपोर्ट नहीं की
अस्वाभाविक परिवर्तन के संबंध में स्टेशन मास्टर को रिपोर्ट करनी चाहिए थी। इसके साथ ही, कोरोमंडल एक्सप्रेस को रोक देना चाहिए था। हालांकि, स्टेशन मास्टर ने ऐसा नहीं किया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।
आधुनिकीकरण पर ध्यान नहीं दिया गया
इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि बाहानगा बाजार स्टेशन के आधुनिकीकरण पर ध्यान नहीं दिया गया है। 2018 में बाहानगा बाजार स्टेशन के सिग्नल सर्किट प्वाइंट को बदला गया था, लेकिन इस बदलाव को डॉक्यूमेंट करना भूल गए थे। इस परिवर्तन को वेयरिंग डायग्राम में दर्शाने में भी गड़बड़ी हुई थी।
भयानक हादसे की शाम
बताया जाता है कि यह भयानक हादसा लगभग एक महीना पहले, यानी 2 जून को ओडिशा के बालासोर के पास स्थित बाहानगा रेलवे स्टेशन के पास हुआ था। इस हादसे में तीन ट्रेनें शामिल थीं। दो सुपरफास्ट ट्रेनें जिनके 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस दौरान सबसे पहले कोरोमंडल मालगाड़ी का संक्षेप में जबरदस्त टक्कर लगी, जिससे ट्रेन के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए और कुछ बगल के ट्रैक पर चल दिये, जहां से बेंगलुरु से चली जा रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस भी गुजर रही थी। इन डिब्बों से इस ट्रेन ने टक्कर मारी और दुर्घटना हो गई। इस हादसे में कुल 293 लोगों की मौत हो गई और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए। अभी भी कई घायलों को चिकित्सा केंद्रों में इलाज जारी है।